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Roli Abhilasha

Classics

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Roli Abhilasha

Classics

रात और ख़्वाब

रात और ख़्वाब

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हर रात एक नए ख़्वाब के साथ सोना

और सुबह उसी उन्माद में जागना,


उम्मीदों के भंवर में गोते लगाना

उनको पूरी होने की ख्वाहिश लिए।


रात भर जुगनू के संग भागना

हवा के परों पर रात की तितली बिठाकर,


मुट्ठी में भींचकर तकिए को

सीने से लगाकर, इतरा कर

आंखों के इशारे पर

होठों में खिला आमंत्रण लेकर।


सब कुछ समझ कर कुछ ना समझना

जागती हुई आंखों से सोते जाना

और फ़िर उम्मीद की सुबह मांगना

यही तसव्वुरात ज़िंदगी है।


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