प्रेम पूरा हुआ?
प्रेम पूरा हुआ?


प्रेम की सारी रस्में मन से निभाकर
साथिया प्रीत का तुमको दिल से बनाकर
चलते जाना है जीवन में आगे मुझे
दुख सारे अपने गले से लगाकर
खुशियों की डोली में तुमको बिठाकर
दूर करने तुम्हारे अंधेरे घने
पांव रखोगी घर में महावर के तुम
उन निशानों में ढूंढूंगा प्रेम पूरा हुआ
आवाज़ से दर महक जाएगा
छनक झांझर की और ये बिछुआ सजा
लाल जोड़े में तुम सजकर जब भी
इतराओगी बन आइने की सखी
मैं हौले से आकर गले से लगाकर
आंखों ही आंखों में पूछूंगा प्रेम पूरा हुआ?
बनकर अर्धांगिनी रुठ जाओगी जब कभी
अपना चेहरा छुपा लोगी मुझसे तुम
हक मनाने का मुझको मिलेगा ही तब
मान जाना न सताना
पास आकर है मुश्किल मुझे दूर जाना
तब तुम्हीं दौड़कर बाहों में आओगी न
मेरे कंधे पर सर रख छुपाओगी न
होठों पर अपने होठों को रख
खामोशी को गहना बनाओगी न
लरजते होंठो से पूछूंगा तब भी यही
प्रेम पूरा हुआ?