बोनसाई और सौंदर्य
बोनसाई और सौंदर्य
बड़े पेड़ों की छांव से
भर चुके थे लोग
बोनसाई में कुछ
अपना सा लगा
छज्जे, खिड़कियां,
दीवारें, छत
इन सबको तो
भर दिया
पर बड़े पेड़ों को
उजाड़ते रहे
लोगों की छांव गई,
चिड़िया का घरौंदा भी
जाने किसी ने इनका
क्या लूटा था
पर्यावरण बिगड़ रहा
मौसम का कुछ शुमार नहीं
कैक्टस उगा रहें
पीपल, बरगद का
कुछ लिहाज नहीं
झूठे सौंदर्य का मान ओढ़े
किस ओर बहे जा रहे
सुंदरता को खत्म कर
सौंदर्यीकरण का मान बढ़ा रहे।