STORYMIRROR

Amit Kumar

Drama

3  

Amit Kumar

Drama

कौन किसका ?

कौन किसका ?

1 min
260

दिल पर पांव

रखते है

बड़े ही उन्माद से

ज़ालिम


बताते कुछ है

सुनाते कुछ है

शांत भी है

धीर बने गम्भीर से

लेकिन बड़े बुसुक से

साहिब !


मुस्कुराते इतराते

उन्होंने हमेशा

अपनी ही सोचा

कभी समझा नहीं

मुझको


और अब

सबसे कहते हैं

अख़लाक़ अपने

मेरी निगाहें

सदा फरमाबरदारी में उनकी

खुद से सवाल करती है


बताइये साहिब !

अब कौन किसका ?

तलबगार है यहां।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama