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Sudershan kumar sharma

Tragedy

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Sudershan kumar sharma

Tragedy

बेरहम(गजल)

बेरहम(गजल)

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बेरहम की दुनिया में भरमार बहुत है,

बूढ़े व असहाय की खिदमत की दरकार बहुत है। 


रहता है जीवन तन्हा तन्हा उनका, कहने को तो परिवार

बहुत है। 


आपा धापी पड़ी है हर किसी को, दुनिया में भरमार बहुत है, 

अरसे गुजर जाते हैं बुलाये हुए फिर भी कहते प्यार बहुत है। 


दर्दे दिल का हाल नहीं सुना पाते मगर घर की कैद में लाचार बहुत हैं। 


जीने का नहीं दिया सलीका 

सुदर्शन लेकिन रिश्ते नातों की

रफ्तार बहुत है। 


दे सके हर कोई खिदमत का मौका, इतनी सोच से हर कोई

बेखबर है। 



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