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Baman Chandra Dixit

Tragedy

4  

Baman Chandra Dixit

Tragedy

अधजली यादें

अधजली यादें

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304


पलट पलट कर देखता हूँ

मैं उलट पलट कर देखता हूँ

जल जाने के बाद

अधजली कुछ यादों को

पलट पलटकर देखता हूँ।

मैं...उलट पलट कर देखता हूँ।।


आसमां से चुन कर सितारों को

तकिए के तले रखा था

खोए ख्वाबों को मनाने के लिए

गीत प्रीत का लिखा था

दासताँ दिल की मेरी

दिलों में दफना कर

स्वाद आंसुओं की चखता हूँ।

मैं उलट पलट कर देखता हूँ।।


आँखें बेजान सी, देखतीं फिर भी

मर चुकी शायद पता नहीं

खुली आसमां से धुंधला चाँद भी

सुबह के बाद भी जाता नहीं

भागती पिया की मेरी

आंचलों को थाम कर

ठहरो ठहरो कहता हूँ।

मैं, उलट पलटकर देखता हूँ।।


ठंडी होती चली चाय पियाले में

भांप भी अलविदा कह गए

दर्द दिलों की निकल न सके

कैद दिलों में रह गए

सुन अनसुना करने की

आदतों पुरानी जो थीं

आज फिर आजमा के देखता हूँ।।

मैं पलट पलट कर देखता हूँ।



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