इश्क़ से बसाई जो हसीन व रंगीन दुनिया इश्क़ से बसाई जो हसीन व रंगीन दुनिया
स्वाद आंसुओं की चखता हूँ। मैं उलट पलट कर देखता हूँ।। स्वाद आंसुओं की चखता हूँ। मैं उलट पलट कर देखता हूँ।।
कोख की कोठरी से उसकी चीख बेहोश माँ भी न सुन सकी कोख की कोठरी से उसकी चीख बेहोश माँ भी न सुन सकी