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Ajay Gupta

Romance Tragedy

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Ajay Gupta

Romance Tragedy

चाँद

चाँद

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 चाँद कितना बेईमान तू निकला 

मैंने क्या कह दिया कि तुम मेरे चांद सा नहीं 

बादलों के ओट में तू जा बैठा 

जलता है तू भी मेरे चांद से 


इसीलिए कभी आधा कभी पूरा बन बैठा 

आ जाते हैं चांद जब कभी मेरे घर के दरवाजे पर 

अमावस की रात बन तू फ़रार निकला 


आ चांद तू भी बैठ कभी हम से बात कर लो... 

मेरे चांद से मिलों चांद आँखें चार कर लो 

चाँदनी को भी साथ लाना इधर 

हो जाने दो फैसला अभी कि आखिर 

किसका चांद ज्यादा बेवफ़ा निकला।


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