रंग
रंग
काली मेरी दुनिया है काली
गायब सारे रंग अदृश्य सब प्राणी
मैं हूँ जन्मजात अंधा
सुना है रंगों की दुनिया निराली
अब रास्ते स्टिक ही बताते है
कितनी बार चोट खा समझ पाते है
कभी लड़खड़ाते कभी गिर भी जाते है
ना जाने कितनी बार लोग हमे बचाते है
किसी भले मानुस की आँखे जब हमे मिली
अंधेरे और कालेपन से तब मुक्ति थी मिली
अब रोज का ऑफिस जाना कितना आसान लगे
प्रकृति के बदलते रूप जैसे भरते नव प्राण लगे
कहीं बैंगनी कहीं लाल तो कहीं पीले फूल खिले
कहीं बारिश कहीं प्रकाश तो कभी कोहरे सब ढके
कहीं हरी पत्तियों को ओढ़े वृक्ष विशाल मिले
मंदिर में राधा श्याम और बाहर हज़ारों सुदामा खड़े
जीवन के इस मोड़ पर
घर वालों ने एक दुविधा लायी
अंधेरेपन की मेरी साथी
उसके शादी के प्रस्ताव ठुकराई
सुन्दर, गुणवती और जो भरे उजाला
विजय बहुत है रिश्ते आते
जिस नर्क से तू निकला
उसी में फिर नहीं है जाते
अगर हम ना बने किसी के उजाला
व्यर्थ ही यह आँख हम पाए
हम से अच्छे यह पशु
मिल बाट सब कष्ट भगाए
बहुत हुई बातचीत और बात बंद
आखिर यही हुआ जैसी तेरी मर्जी
माना यह था बड़ा फैसला
सम्भाल लेना हमे भगवान सुन मेरी अर्जी
हमारी शादी जैसे रोचक जग सारा
जैसे काले आसमान में चमके ध्रुव तारा
शैली की दुनिया में कुछ रंग भर आए
हमारा साथ नव ऊर्जा बन जग पर छाए
हँसते रूठते मनाते बीत जाएगी जिंदगी
सहारा देते कभी लेते बीत जायेगी जिंदगी
किसी नेत्र दान की तलाश है
पर प्यार से हर राह भी बनाएगी जिंदगी।