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Ashok Goyal

Romance

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Ashok Goyal

Romance

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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फिर कहीं नज़्म कोई बिखरी है।

ये फ़ज़ा आज सहमी सहमी है।


सहमे सहमे से जलते हैं ये चराग़।

और शब भी उदास रहती है।


छू गया था तेरा ख़याल मुझे।

रात भर चाँदनी सी बरसी है।


वाक़या कुछ हुआ तो है शब में।

आज ये सुबह, बहकी बहकी है।


मैं हूँ, मदहोशियाँ ये, और वो हैं।

जाँ ये जायेगी बात पक्की है।


अब तलक लब सुलग रहे हैं मेरे।

जब से उसने ज़बान रखी है।


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