मोहब्बतें
मोहब्बतें
मोहब्बतों का राहबर, मोहब्बतों का हो गया।
उड़ा के ख़ाक आज अपनी आसमाँ पे सो गया।
है बर्फ़ बर्फ़ चाँदनी, उदास है ये चाँद भी।
न जाने कौन आँसुओं से रात को भिगो गया।
न मैं रहा हूँ मैं, न अब मेरा कोई वजूद है।
मेरे नफ़स नफ़स में अब वो ख़ुद को ही पिरो गया।
वो सर्द सर्द सिसकियाँ, वो भीगती ख़मोशियाँ।
वो आँसुओं में यूँ मेरे वजूद को डुबो गया।
वो नेकियों का हमसफ़र, मोहब्बतों का राहबर।
जो मेरे दिल के ज़ख्म अपने आँसुओं से धो गया।