ग़ज़ल
ग़ज़ल
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दिल में मेरे उदासियाँ हैं बहुत
मेरे ग़म की कहानियाँ हैं बहुत
सारी दुनिया ही मुझसे बेहतर है
यार मुझ में ही ख़ामियाँ हैं बहुत
है समन्दर सी ख़ामुशी जिसकी
उसके सीने में आँधियाँ हैं बहुत
क्या ज़रूरत है ऐश ओ इशरत की
मुझ पे उसकी निशानियाँ हैं बहुत