इतनी है वो खूबसूरत
इतनी है वो खूबसूरत
कैसे कहूँ कितनी है वो खूबसूरत?
काया जैसे चंदन की हो कोई नाज़ुक सी मूरत।
उसपर भोली सी सुरत,
समायी उसमें सारी कुदरत।
वो करे किसी को अनदेखा, तब भी सब उसके कद्रदान
मुस्कराने की उसे क्या ज़रूरत,
इतनी है वो खूबसूरत।
शहद मांगता मिठास उसके बैनों से,
उसकी बोली सुने बिना भँवरे फिरते बाग में बेचैनों से।
चेहरा जैसे एक उजला सवेरा,
बाल जैसे काली घटाओ का घेरा।
आईना ख़ुद उसे देखने को आ जाए
उसे जाने की क्या ज़रूरत,
इतनी है वो खूबसूरत।
होंठों में लालिमा, जैसी गुलाब की होती है
मुस्कान लगे जैसे धागे में पिरोए सफेद मोती हैं।
आँखें सागर से भी गहरी,
उनपर अनगिनत पलकें प्रहरी।
काजल उसकी आँखों से कालिमा माँगे
उसे काजल की क्या ज़रूरत,
इतनी है वो खूबसूरत।
और कितनी उसकी खूबियां बताऊँ?
उसके लिए मेरा इश्क कैसे जताऊँ?
मन में उसके भरा सौंदर्य सारी सृष्टि का,
मैं तो चाहनेवाले बस उसकी एक दृष्टि का।
प्यार भरा है सारी दुनिया का, उसके दिल में
उसे और किसी की क्या ज़रूरत,
इतनी है वो खूबसूरत।

