उसे इश्क़ तो नहीं था...
उसे इश्क़ तो नहीं था...
उसे इश्क़ तो नहीं था मुझसे
मगर इंकार भी न था
कैसे कह दूँ कि उसे मुझसे
थोड़ा प्यार भी न था
ज़ाहिर थी मोहब्बत
उसकी निगाहों में
मगर कभी कुछ कहा नहीं
ये और बात है कि
वो बेजुबान भी न था
ना देख पाए मुझे किसी रोज़
तो घबराती थी मन ही मन
दिल की उस शिकन का मगर
रुख पे कभी निशान भी न था
ना इल्म हो उसे
मेरे दिल की बेकरारी का
ऐसा बेपरवाह उसका कोई
अंदाज भी न था
कैसे कह दूँ कि उसे मुझसे
थोड़ा प्यार भी न था!