दो अजनबी
दो अजनबी
मैं नहीं जानती कि
तुम कौन हो?
कौन हो जिससे
मेरे जीवन की डोर बंंधेगी
पर तुम कहीं हो
यह मैं जानती हूँ
एक प्रतिबिंब सा
तुम भी यही सोच रहे होगे कि
वो कौन है?
कौन है जिसके
पाश में मैं बंध जाऊँगा
पर वो कहीं है
यह मैं जानता हूँ
एक परछाई सी
हम दोनों नहीं जानते कि
मेरे 'तुम' और तुम्हारी 'वो'
कौन है और कहाँ है
पर हम दोनों जानते हैं कि
मेरे 'तुम' तुम हो
और तुम्हारी 'वो' मैं हूँ
फिर भी हम अजनबी हैं

