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Yogesh Kanava

Abstract Romance

4.0  

Yogesh Kanava

Abstract Romance

रति सा रूप लिए हो तुम

रति सा रूप लिए हो तुम

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जिसकी दिल को तलाश ,

तेरी वो हर अदा है ख़ास। 


रुखसारों की रंगत ऐसी ,

भोर का हो जैसे आकाश। 


कनक कामिनी नयन कटीले,

बाँहों में हो जैसे मधुमास। 


तिल चिबुक होंठ रसीले ,

पल पल जगाये जीने की आस। 


झर झर झरता यौवन का,

देखे से बढ़ती जाये प्यास। 


रति सा रूप लिए हो तुम ,

देख दहकने लगे अब पलाश। 



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