रति सा रूप लिए हो तुम
रति सा रूप लिए हो तुम
जिसकी दिल को तलाश ,
तेरी वो हर अदा है ख़ास।
रुखसारों की रंगत ऐसी ,
भोर का हो जैसे आकाश।
कनक कामिनी नयन कटीले,
बाँहों में हो जैसे मधुमास।
तिल चिबुक होंठ रसीले ,
पल पल जगाये जीने की आस।
झर झर झरता यौवन का,
देखे से बढ़ती जाये प्यास।
रति सा रूप लिए हो तुम ,
देख दहकने लगे अब पलाश।