आदमी दिखावा हो गया
आदमी दिखावा हो गया
ना जाने कब कैसे
ये छलावा हो गया
देखते ही देखते
आदमी दिखावा हो गया।
सीने के ज़ख्मों को
होंठों की बनावटी
मुस्कान तले दबाकर
अपने आपसे ही
आदमी पराया हो गया।
किसे थी ख़बर
ये होगा मेरे साथ भी
जाने कैसे मेरे दिल को
ये गवारा हो गया
खुद बन गया हूँ नुमाइश
ज़माने के बाजार में
किस से कहें कैसे कहे
आदमी आज दिखावा हो गया।