लो मिलाएं हाथ और दिल अपना
लो मिलाएं हाथ और दिल अपना
खूबसूरत इक दुनिया बनायें हम,
अपनी पलकों पे आसमां उठायें हम।
सितारों को बाहर लें अपने आगोश में ,
आओ ऐसे ख्वाब आँखों में सजाएं हम।
मुख़्तलिफ़ रंगों के फूल हों जहाँ ,
आओ एक ऐसा भी चमन खिलाएं हम।
मिट जाये इंसां इंसां के बीच की दूरी ,
आओ मज़हब की वो दीवारें गिराएं हम।
न कोई राज़ रहे ना राज़दार कोई रहे ,
आओ एक खुली सी किताब बन जाएँ हम।
लो मिलाएं हाथ और दिल अपना ,
पुरानी कड़वाहटों को आज फिर भुलाएं हम।
वो ईसा ,सुकरात ,गाँधी चढ़े बलि पर ,
आतंक के इस ज़हर को अब मिटायें हम।