STORYMIRROR

ninad rajpathak

Romance

3  

ninad rajpathak

Romance

इश्क मेरा

इश्क मेरा

1 min
127

बहोत कुछ है दिल के 

अंदर बताना चाहता हूं मै

मुझे मालूम है ये ना 'तेरी 

मगर मेरी ही जरूरत है

   

न शिकवा है तुझसे कोई 

ना तुझसे कोई शिकायत है

बुला कर भी ना आना 

तेरी तो पुरानी आदत है


'तेरी आदतो से हूं वाकीफ

अब तुझे पहचानता हूं मै

अगर ठान ली जो तुमने 

लौट आना तो बहोत दूर 

पलट कर ना तुम देखोगे .

 

माना की तेर इश्क मे 

मश्गुल आज भी है हम

मगर हकीकत से मूह मोडना

मेरी फ़ितरत मे नही है


तुझे मुबारक 'तेरी दुनिया मे 

सदा आबाद रहो गे तुम

मेरी बरबादी को कभी भी 

गलती से याद मत करना.


कोई उनको जा के ये 

मेरा पैगाम यादसे दे देना

कही दिख जाये शेहर मे 

तो नजर अंदाज कर देना.


एक बार आखे मिलाने की

सजा भूगत रहे है हम 

ताउम्र जिंदगी इसी से सजानी है 

'तेरी इश्क की मेरे पास

यही तो आखरी निशानी है।


Rate this content
Log in

More hindi poem from ninad rajpathak

Similar hindi poem from Romance