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चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज

Abstract Romance

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चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज

Abstract Romance

मेरी बात अधूरी रह गई

मेरी बात अधूरी रह गई

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तुमसे मिलने आई थी,

कहनी थी तुमसे एक बात,

तुमको देख कर भूल गई,

तुम्हें देखती रह गई सारी रात,

बात अधूरी रह गई।


दिल का क्या सुनाऊँ तुम्हें हाल

तेरे सिवाय ना आए कोई ख्याल

मन की बात, मेरे मन में रह गई,

वह बात अधूरी रह गई।


संदेश तुम तक कैसे पहुँचाऊँ,

तुम बिन कहीं अच्छा लगता नहीं,

फोन, मैसेज करके भी पूरी ना होगी बात,

तुमसे मिलना हमारा जरूरी हो गया,

मेरी बात अधूरी रह गई ‌।



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