प्रेम निस्वार्थ कहां
प्रेम निस्वार्थ कहां
वह
मुझसे
प्यार
करते हैं
मेरा
ख्याल
अपने से
ज्यादा
रखते हैं
मेरे बिना
नहीं रह पाते
खुद से ज्यादा
मुझे प्यार
करते हैं
प्यार इतना कि
दूर जाने नहीं देते
वो मेरे सलामती की
हमेशा दुआ करते हैं
लेकिन प्रेम
भी निस्वार्थ कहां है
वह हमारे बगैर
नहीं रह सकती
इसलिए वो
हमारा ख्याल
रखती हैं
इसमें भी तो
स्वार्थ ही है
प्रेम निस्वार्थ कहां।

