STORYMIRROR

Prabodh Govil

Tragedy

4  

Prabodh Govil

Tragedy

कभी कभी

कभी कभी

1 min
201

मुझे सदा, लुटी गैरत पे मलाल होता है

कि मैंने कुछ न जहां में किया किसी के लिए

कि बिक रहे थे यहां ख़्वाब भी बाज़ारों में

मगर दुकानों से मैंने तो बस ज़मीर लिए


मुझे सदा, लुटी गैरत पे मलाल होता है

तड़पते देखे फिज़ाओं में दिल दवा के लिए

मेरे सफ़र में मेरे पास जब सितारे थे

निगाह मेरी उठी भी तो बस हवा के लिए


फ़िल्म : कभी कभी

गीत : कभी - कभी मेरे दिल में खयाल आता है

 कि जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy