STORYMIRROR

RAVI SHEKHAR

Tragedy

3  

RAVI SHEKHAR

Tragedy

मेरी गलतियां

मेरी गलतियां

1 min
408

ना जाने क्या क्या गलतियां की हैं मैंने

याद नहीं हैं कि क्या गलतियां की हैं मैंने

पहली है कि शायद सबको अपना माना मैंने

अपने क्या अपनों से बढ़कर उन्हें माना मैंने

सिखाया है  सबक सबने मिलकर मुझे

दुश्मनों  से भी ज्यादा सताया  है मुझे

ना जाने क्या क्या गलतियां की हैं मैंने

अपने हिस्से की  रोटी भी उन्हें खिलाई हैं मैंने

मुसीबत में अपनी चौखट से भगाया है मुझे

ना जाने क्या क्या गलतियां की हैं मैंने!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy