STORYMIRROR

निशान्त "स्नेहाकांक्षी"

Tragedy

4  

निशान्त "स्नेहाकांक्षी"

Tragedy

अबला

अबला

1 min
22.8K

मर्यादा पुरुषोत्तम थे रघुवर, 

पर नारी को अग्नि कसौटी तोला, 


धर्मराज युधिष्ठिर थे अडिग धर्म पर, 

पर दांव स्व-भार्या का खेला, 


सतयुग, त्रेता या युग था द्वापर, 

स्त्री ने सदियों से दंश ये झेला, 


पुरुष प्रधान समाज बनाकर, 

ग्रंथों ने भी पहनाया 'अबला' का चोला, 


नारी अबला तो है कौन उत्तरदायी, 

अग्नि परीक्षा राम को क्यों ना दिलायी, 


युगों पहले जो ये परिवर्तन होता, 

स्त्री का यूँ ना मर्दन होता, 


सीता हरण से चीर हरण तक, 

यूँ आँचल का ना आबंटन होता, 


सदियों से पाटी जाती रही, 

नारी के सम्मान की खायी, 


कभी माथे की बिंदी मिटाकर, 

कभी देकर सिंदूर की दुहाई ! 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy