मन की बात
मन की बात
चलो सुनाएं बात मन की ,
जो मन में आई है।
सोचा मैंने आज कुछ ऐसा,
जो पैसे से भी ज्यादा है।
काम मिला स्कूल से इतना,
जो करने में ही फायदा है।
ना मना कर सकते हैं ना मुंह मोड़ सकते हैं,
लिख लिख कर बस पढ़ ही सकते हैं
इतना सारा काम मिला है,
जो सोच भी नहीं सकते हैं,
करो ना भाग जाए भगवान से प्रार्थना कर सकते हैं।
करोना के चक्कर में स्कूल भी बंद है,
काम इतना है कि जिसकी सीमा अनंत है।
सोच सोच कर कर थक गई हूं,
कैसे करूं यह काम पूरा पर यह ठान लिया है छोडूंगी ना इसको अधूरा,
छोडूंगी ना इसको अधूरा
