रंग फीका पड़ गया
रंग फीका पड़ गया
आज वो उमंग नहीं रही ना वो अरमान रह गए
बदली सी इस दुनियां में सब रंग फीके पड़ गए
आपस में ना अमन रह गया दिल भी मायूस हो गए
त्यौहार भी बेगाने बन गए आज रिश्ते भी फीके पड़ गए
हताश तो तब हो जाते हैं जब अपने ही दूर खड़े हो जाते हैं
सब रंग होली के लगाकर चले जाते हैं
जो दिल पे उतर जाएं वो रंग कोई नहीं लाता।
