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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

दीये तले अंधेरा

दीये तले अंधेरा

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हर तरफ कातिलों के मंजर है

सबके सब हो गये दुष्ट बंदर है

दिख न रही है अब कोई राह,

सब तरफ ही भरे हुए समंदर है


कैसे अब कोई रास्ता पार करू,

सबने शूल रखे हृदय के अंदर है

किसी को यहां में क्या दोष दूँ

पहले खुद के दिल मे झांक लूँ,


ख़ुद में न हो रहे कहीं तंत्र-मंत्र है

दूसरों की ओट में तू साखी,

खुद का अँधेरा भूल न जाना

दीये तले भी होते अंधे जितेंद्र है


दीये तले अंधेरे को दूर करना है

बनना तुझे रोशनी का कलंदर है।


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