राजनीति का रंगमंच है दर्शक हम असली हैं। राजनीति का रंगमंच है दर्शक हम असली हैं।
जो हाथ इन बच्चियों पर अब उठेगा कटेगा-कटेगा-कटेगा।। जो हाथ इन बच्चियों पर अब उठेगा कटेगा-कटेगा-कटेगा।।
तब हमें तंत्र की क्या जरुरत ? पीट लें छाती या पीट लें कप्पार परिजन निःसहाय थे अन्याय का परिदृश्य ... तब हमें तंत्र की क्या जरुरत ? पीट लें छाती या पीट लें कप्पार परिजन निःसहाय थे ...
मंदिर मस्जिद में उलझा के सत्ता डाल रही है डाके मंदिर मस्जिद में उलझा के सत्ता डाल रही है डाके
कुत्ता, कलुआ बीच रोड़ में, करते हैं मूत्र दान। कुत्ता, कलुआ बीच रोड़ में, करते हैं मूत्र दान।
दीये तले अंधेरे को दूर करना है बनना तुझे रोशनी का कलंदर है। दीये तले अंधेरे को दूर करना है बनना तुझे रोशनी का कलंदर है।