आओ प्रश्न उठाएं टोकें
आओ प्रश्न उठाएं टोकें
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सत्ता के सेठों से यारी
लोकतंत्र में भी है जारी।
आ धमकी है फिर बदहाली
गतिविधियां सामंतों वाली।
सत्ता में आ बैठे अंधे
चला रखे हैं गोरखधंधे।
तंत्र कर दिया है बेढंगा
लोक बना डाला है नंगा।
मंदिर मस्जिद में उलझा के
सत्ता डाल रही है डाके।
कर कर सेठ मुनाफाखोरी
भर भर चले विदेश तिजोरी।
नीयत इनकी इतनी खोटी
छीन रहे लोगों की रोटी ।
अपनी जेब कटी क्यों सोचो
अपनी जेब फटी क्यों सोचो।
आओ प्रश्न उठाएं टोकें
इनकी राह लूट की रोकें।
