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AJAY AMITABH SUMAN

Drama

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AJAY AMITABH SUMAN

Drama

जनतंत्र की सीख

जनतंत्र की सीख

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प्रजातंत्र से जनता को, देख मिली क्या सीख,

मस्जिद मुल्ला बाँग लगता, मंदिर पण्डा चीख।

मंदिर पण्डा चीख चीख के, प्रभु गुण गान बतावै,

डम डम बम बम मस्त भक्तजन, मदिरा भाँग चढावै।


मदिरा भाँग चढावै, शिवभक्तों पे ना कोई रोक,  

हुल्लड़, गुल्लड़, धूम धड़ाका, कोई न पावै टोक।

कोई न पावै टोक कि देखो, अजब तंत्र का हाल,

दो बोतल पे वोटर बिकते, ठुल्ले भी बेहाल।


ठुल्ले भी बेहाल कि कलुआ, सरपट दौड़ लगाता,

यहाँ वहाँ जहाँ पान मिले, सड़कों पे पीक फैलता।

सड़कों पे पीक फैलाता यही, जनतंत्र का ज्ञान,

कुत्ता, कलुआ बीच रोड़ में, करते हैं मूत्र दान।


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