नारा बुलंद
नारा बुलंद
मंदिर के परिसर में
नारे बुलंद हो रहे थे ,
"जय श्री राम "..............
भारत माता की जय "......
"बन्देमातरम "...............
कोई तिरंगा लहरा रहा था
तलवार .....भाला ...गंडास ....चाकू
सब के हाथ में चमक रहे थे !
मेरी जिज्ञाषाओँ ने
हिलकोरे लगायीं ,
आज तो रामनवमी नहीं है ,
ना ही हनुमान जयंती !
तब यह भींड़ कैसी ?पता लग गया ......
एक अबोध आठ साल की
बच्ची का
मंदिर में लोगों ने दुष्कर्म किया
और मारकर फ़ेंक दिया
!पुलिस ....प्रशासन मूक दर्शक
बन गयी ,
डर उनको भी सताने लगी !!
जब .....'जय श्री राम '
'भारत माता की जय '
'बंदेमातरम '
और 'तिरंगा 'स्वयं ही
नेतृत्व भींड़ का कर रहे हैं !
तब हमें तंत्र की क्या जरुरत ?
पीट लें छाती या पीट लें कप्पार
परिजन निःसहाय थे
अन्याय का परिदृश्य चारों ओर
फैला पड़ा था कोई फिर क्या कर सकता था ?
.....श्रीराम ....,
......भारतमाता .
......बंदेमातरम ....और
..... तिरंगा '
के ब्रम्हास्त्रों से भला
कौन बच सकता है ?
