आवाज़ का जादू
आवाज़ का जादू
बादल भैया जब भी बोलें
उमड़- घुमड़ कर "गरजें" वो
टिप टिप करके बरखा रानी
नगर नगर में बरसें वो
हवा चले जब सन सन सन सन
"सांय- सांय" बतियाए वो
अपना दोस्त कबूतर बोले
"गुटर- गुटर" कहलाए वो
और मेंढकी रानी प्यारी
"टर्र- टर्र" टर्राए वो
रहे भौंकता भौं-भौं कुत्ता
कोयल "कूक" सुनाए जो
बिल्ली रानी "म्याऊं" कह के
चूहा चट कर जाए वो
गुन- गुन गाता भंवरा भैया
सुबह सैर पर जाए वो
गैया मैया रंभाती है
बब्बर शेर दहाड़े जो
चुन्नू- मुन्नू वन टू बोलें
उठकर रटें पहाड़े वो
मिमियाती है बकरी बेगम
गधा रेंकता आए जो
उई-उई करके उछलें दादी
तिलचट्टा दिख जाए जो
हट्टी- कट्टी भैंस आंटी
डकराए जब खेतों में
टिटियाकर के तभी टिटहरी
नाचे-गाए खेतों में
मुर्गे राजा बांग लगाते
"कुकडू- कुकडू" गाते जो
ताज़ा मांस भेड़िया बाबू
गुर्राकर के खाते वो
कहें गाड़ियां "पौं- पौं" सारी
छुक- छुक गीत सुनाए रेल
ठक- ठक करके तांगा दौड़े
घोड़ा भी हिनहिनाए खेल
कहा गिलहरी ने जुगनू से
कितनी आवाज़ें प्यारी
इस धरती पर पड़ें सुनाई
ये वसुधा सबसे न्यारी
रहे मौन वो मंगल ग्रह तो
सन्नाटा पसरा उसपर
सात सुरों में धरती गाए
तुम भी रहो यहीं बस कर
जुगनू बाबू हो गए गुस्सा
बैठ गए वो मुंह फेरे
"कितनी चहलपहल है देखो
हम रहते हैं मौन धरे !"
तभी गिलहरी बोली उससे
ना- ना दिल ना छोटा कर
यहां तुम्हारे जैसे भी हैं
मौनी बाबा धरती पर
मगरमच्छ जी दिनभर रहते
दरिया में चुपचाप पड़े
तैर रही है गुमसुम मछली
पेड़ सभी खामोश खड़े
यहां सिर्फ भंवरे गाते हैं
तितलीरानी है खामोश
रहें घूमते जंगल में जो
चुप हैं वो कछुआ, खरगोश
नदिया कलकल गाती है पर
संन्यासी से पर्वत मौन
चूहा, ऊंट, नेवला,भालू
सारे चुप हैं, बोले कौन
दिनभर शोर मचाते बच्चे
नाचें गाएं खेलें खेल
टीचर जी कुछ पूछें तो ये
चुप होकर हो जाते फेल !
