मैं और सरकार - 3
मैं और सरकार - 3
मैं
हवा का एक कतरा
नामालूम से अस्तित्व वाला।
सरकार
आंधी की तरह भयानक
कभी थमती, कभी उड़ती।
कभी मैं
पत्ता- पत्ता, बूटा - बूटा
तो कभी सरकार नगरी - नगरी, द्वारे -द्वारे।
कभी देश मेरे मस्तक पर
कभी देश सरकार की जेब में
कभी मैं सिंहासन पर और सरकार शवासन में
कभी मैं हाथ फैलाए और सरकार परवरदिगार
मेरे नाखून पर सरकार के जन्म का नीला टीका
सरकार के अभिलेख में मेरी पैदाइश की सनद
मैं सरकार का, सरकार मेरी।
सरकार मेरी दोस्त
मैं सरकार का खिलौना
कभी सरकार डाल डाल, मैं पात पात
कभी सरकार अर्श पर, मैं फर्श पर
कभी मेरे दिए टैक्स से सड़कों पर दौड़ती सरकार
कभी सरकार के दिए रोज़गार से सड़क कूटता मैं।
मैं भूख
सरकार गेहूं
मैं नींद
सरकार बिछौना
कभी मेरे होठों पर हंसी, कभी मेरी आंख में आंसू
कभी सरकार के मुंह में भाषण, कभी सरकार के मुंह पर
...मास्क!
