परायापन
परायापन
ये चाँद भी हमें पराया लगता है
सूरज भी हमें आवारा लगता है
अपनों के मिले इतने सितम की,
खुद का साया, बेसहारा लगता है
दर्दों गम में किसको आवाज दूँ,
सांसो का अब भाड़ा लगता है
ये चाँद भी हमें पराया लगता है
ये फूल, शूल का मारा लगता है
कितनी दर्द भरी दास्तां है, मेरी,
खुद का ही दिल हारा लगता है
जिस्म से ज्यादा घाव दिल पे है,
दिल शूलों का सितारा लगता है
ये चाँद भी हमें पराया लगता है
अपनों का ये भी मारा लगता है
रिश्तों से साखी हारा लगता है
जीवन बड़ा दुखियारा लगता है
फिर भी जीएंगे, जहर पियेंगे
दर्द से रिश्ता पुराना लगता है
बनेंगे त्रिशूल, मिटायेंगे हर शूल,
भीतर ख़ुदी का सहारा लगता है
