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Rajit ram Ranjan

Tragedy

4  

Rajit ram Ranjan

Tragedy

अपनापन..!

अपनापन..!

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नफ़रतों की जंजीर में

जकड़ गया है

अपनापन,

अपने भी किसी को

अब अपने नहीं

लगते,

बिगड गया हैं

अपनापन,

लोभ-लालच में

सिमट के

रह गया है

अपनापन,

चेहरों पे कई चेहरे हैं,

पर

कहीं नहीं हैं

अपनापन,

आधुनिक इस युग में

दफ़न होता जा

रहा हैं

अपनापन।



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