तबाही का मंज़र
तबाही का मंज़र
ये तबाही का मंज़र और न देखा जायेगा ,
ए वक्त थम जा अब और नहीं I
हिमगिरी पिघल रही है ,
आँसुओं की धारा बह रही है ,
सैलाब उमड़ आया है ,
सब कुछ साथ ले जायेगा I
ये तबाही का मंज़र और न देखा जायेगा I
ए वक्त थम जा अब और नहीं I
हर निशां बन गया है ज़र्रा ,
मौत का खौफ हर चेहरा ,
ज़िन्दगी ने तुझको पुकारा ,
तिनके सा सब बह जायेगा I
ये तबाही का मंज़र और न देखा जायेगा I
ए वक्त थम जा अब और नहीं I
सपनों के टूटने का गम ,
अपनों को खोने का गम ,
हर आँख हो गयी है नम ,
दिलों में बस एक याद सा रह जायेगा I
ये तबाही का मंज़र अब और न देखा जायेगा I
ए वक्त थम जा अब और नहीं I