वो और मैं
वो और मैं
वो और मैं कभी हम न हुए।
फ़ासले दरमियां कम न हुए।
ज़िद्द उसकी कुछ मजबूरी मेरी,
साथ चल कर हम क़दम न हुए।
वादे तो किये थे जनम जनम के
लेकिन साथ इक जनम ना हुए।
यूँ तो हर दिल अज़ीज़ हो तुम,
बस मेरे ही तुम सनम ना हुए।
कहते हैं सुनता ख़ुदा सबकी दुआ,
बस मुझ पर नज़रे करम ना हुए।

