दधीचि जगतू
दधीचि जगतू
जगतू की एक आँख में टहनी लगी,
आँख फूट गयी।
जगतू अभी भी जमींदार के घर काम करता है।
पाँच बच्चों की ज़िम्मेदारी जो है।
जगतू अब काना जगतू हो गया,
अब भी ख़ेत / खलिहान, गाय / बैल की
ज़िम्मेदारी जगतू शिद्दत से उठाता।
उसी ज़मींदार के लिए।
जिस ज़मींदार ने उसकी एक आँख की
ज़िम्मेदारी भी नहीं उठाई।
समय से इलाज मिल जाता तो आँख बच सकती थी,
शहर के डॉक्टर ने बताया।
शायद ज़मींदार को उस पर पैसा खर्च करना बर्बादी लगा,
काना जगतू अब ज़्यादा ज़िम्मेदारी से काम करता,
दूसरी आँख को भी दाँव पर लगा कर,
हारे हुए जुआरी की तरह।
ज़िम्मेदार, वफ़ादार जगतू।।
अमीरों को और अमीर बनाता,
अपनी हड्डियों का दान देता,
दधीचि जगतू ।।
