डाका
डाका
पल्लू से ढक चेहरे को,
लाल, हरी, बैंगनी, सफ़ेद सब्ज़ियाँ,
और भूरे, भरे / भरे आलू लिए
टोकरा उम्मीदों का सिर पर लिए
दुलारी बैठ सड़क किनारे,
सुबह से शाम तक मेहनत करती ,
सपनों को ख़रीदने का जतन करती
बस्ता टाँगे पीठ पर,
स्कूल जाते गोलू को देखती
कभी शालू कीं विदाई देखती
पैसा जमा कर ज़मानत के,
जेल बंद पति की रिहाई देखती।
बैंगन का क्या भाव है,
गाड़ी से उतर मैडम आयी
सारी भाजी तरकारी की पूछ कर क़ीमत,
हर सब्जी महँगी बताई
ले लो मेमसाहिब ठीक लगा दूँगी
दुलारी गिड़गिड़ाई।
यूँ दिन भर की मेहनत के बाद,
ख़ाली टोकरा लिए, बुझी आँखों से,
आकाश की और देख दुलारी मुस्कुराई
ज़माने भर के दर्द से भरी मुस्कुराहट
मोल -भाव कर कुछ लोग,
डाका डाल गए थे
सब्जी / भाजी के साथ,
उसके सपने भी लूट गए थे।
