जीवन-२
जीवन-२
शर्त वो तजुर्बों का लेन-देन है यह जीवन।
चढ़ते-ढलते पलों का अनुभव -सार है जीवन।।
बनते-बिगड़ते कर्मों का अनुक्रम है जीवन।
सम्बन्धों के बीच सामंजस्य समझ है जीवन।।
आपसी रिश्तों में प्रेम का ठहराव है जीवन।
बिन स्नेह-प्रेम के मृतप्राय बेकार है जीवन।।
निखर गये तो समझो! जीया वही है! जीवन।
बिखरे गये तो समझो जाया है! जीवन।।
बिखर कर जो! पुनः संवर गये तो ???।
समझो! जीया वहीं! जीता उसने है जीवन