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Manjula Pandey

Inspirational

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Manjula Pandey

Inspirational

हिन्दी का सम्मान करें

हिन्दी का सम्मान करें

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मौम -डैड की बोली बोलें!

फिर मात्र एक दिन को ,

मातृभाषा जय-जयकार

के ही खोखले स्वर बोलें!

नित ओढ़ कर पश्चिम भाषा 

की सभ्यता खुद इत-उत 

हिन्दी-हिन्दी -हिन्दी बोलें

  

चुम्बन-आलिंगन जैसे भावपूर्ण

आत्मिक भावों को नित लघू रुप में

शिशु संग फिर क्यूं किसि-हग्गि बोलें!

रिश्तों का भेद जो ना जाने भाषा

प्रेम दिया उसे अच्छा-खासा!

छोड़कर खुद की हिन्दी भाषा

खुद हिन्दी को दे दी निराशा!

आज हिन्दी-हिन्दी बोलो बोलें

कितनी अपनी पोल हैं खोलें!

खुद की संस्कृति छोड़ रहे हैं!

हम सब पश्चिमी सभ्यता के 

सुर में सुर मिला बोल रहे हैं!

अपवादों से भरी जो भाषा

उसी से नाता नित जोड़ रहे हैं

फिर औपचारिकता में मात्र इक

रोज को हिन्दी-हिन्दी बोल रहे हैं


सरस, सरल, रसीली है जो

आओ उस हिन्दी का हम

खुलकर इतना प्रसार करें

नित सुर इसके नस -नस में

सबके मधू मिश्री -सा रस घोलें!


सरल, सरस, लचीली है तो आज

हम सब मिलकर इसका मन से

सच्चा वरण करें 

अपने देश में अपनी हिन्दी का

स्वराज करें

हर क्षेत्र हर कार्यालय में हिन्दी

में ही सब काम-काज करें!!

आज ! पटल-पटल में हिन्दी

रख कर सच्चा इसका मान करें



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