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डॉ. प्रदीप कुमार

Inspirational

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डॉ. प्रदीप कुमार

Inspirational

हिंदी-दिवस

हिंदी-दिवस

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द्वार पे कुछ लोग आए जान पड़ रहे, 

स्वर और व्यंजन दो समूह में दिख रहे, 

सब उत्सुक हैं अंदर आ जाने को, 

तैयार हैं सब नए-नए शब्द बनाने को, 

हिंदी परिवार के सब सम्मानित सदस्य हैं, 

कुछ के साथ मात्राएं भी संलग्न हैं, 

हिंदी-दिवस पर सब एक होना चाहते हैं, 

स्वयं को दूसरों के संग पिरोना चाहते हैं।

वो इस आशा में हैं कि हम उनका स्वागत करेंगे, 

एक पखवाड़े तक हम उनके साथ रहेंगे, 

श्रुतलेख, निबंध, कविताओं की झड़ी लगेगी, 

एक पखवाड़े तक विभिन्न प्रतियोगिता चलेगी, 

कुछ इस लालच में होंगे कि चार पैसे मिलेंगे, 

कुछ हिंदी भाषा की महत्ता पर मंथन करेंगे।

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, इसे ही होना चाहिए, 

इसके सोमरस से हमें स्वयं को भिगोना चाहिए, 

घर में, विद्यालय में, और अपने कार्यालय में, 

अधिक से अधिक हमें हिंदी का प्रयोग करना चाहिए।


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