पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया
पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया
गुरु गोविन्द दोउ खड़े काके लागु पाय,
बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो दियो बताय।
कहीं सुना था और पढ़ा था ऐसा कोई दोहा
था कबीर का या रहीम का पर दिल को बहुत था छुआ।
ईश्वर से भी अधिक है जिसकी प्रतिष्ठा इस संसार में
वो है एक गुरु जो है सदा हमारे व्यवहार में।
था वो एक द्रोणाचार्य जो अर्जुन को महान बनाता है,
एक आदर्श भारतवर्ष की जो सही नीव डलवाता है।
संत कबीर के मुख से जब जो बोल निकले थे
शिष्यों ने उन्हें बाँध कर सारे जग को भेंट किये थे।
आज का युग अब बदल गया है, सारी स्मृतियों धूमिल हो गयी है
ना वो गुरुकुल है न वो तक्षिला, न वे आचार्य है न वो नालंदा।
फिर भी हम सब शिक्षक अपनी पूरी जान लगाते है ,
और अपने अपने शिष्यों को एक अच्छा इंसान बनाते है।
शिखक एक महान है जो जग में उजियारा लाता है
पढ़ाने क साथ साथ आपको जीवन जीने की कला भी सिखाता है।
जीवन में जब भी कोई ऊँचे पद पर पहुँचता है
अपने शिखक को एक बार अवश्य ही स्मरण करता है।
एक बार मै मंदिर के बाहर अपनी चप्पल ढूंढ रही थी
किसी की नज़रे मुझसे कुछ तो पूछ रही थी।
मैंने ध्यान से देखा पर कुछ याद नहीं आता था
उसने बोलै मै वही हूँ जिससे कभी आपका गहरा नाता था।
मेरा नाम रमेश है और मई छठवीं में आपसे पढ़ा था
मेरे जीवन को आपने एक नए सिरे से गढ़ा था।
मैंने पूछा कैसे हो तो उसने कहा की आपकी दुआ है
मंदिर के बाहर ही भगवन मिल गए
शायद मैंने कुछ अच्छा काम किया है।
ऐसे बच्चे शिखक को फिर से जीना सिखाते है।
कमी रह गयी थी जो हमारे विद्यार्थी जीवन में वो
हम सब एक शिक्षक बन कर पूरा कर पाते है।
रोज़ शाला में जाती हूँ और मन में सुकून पाती हूँ।
बच्चों को पढ़ाती हूँ और खुद भी कुछ सीख कर आती हूँ।
बच्चो को इस काबिल बन दू की वो अपना नाम कामये
अपने पैरो पर खड़े होकर असली गुरु दक्षिणा दे जाये।
पर कभी कभी डर्टी हूँ की क्या सब सही हो रहा है
क्यों शिक्षा का स्तर अर्श से फर्श पर जा रहा है।
आज विश्व के सारे देशो में हमारा देश क्यों पिछड़ जाता है
गुरुओ और आचार्यो की भूमि में कोई आगे क्यों न बढ़ पाता है।
शिक्षा प्रणाली को उठा कर हम देश को विकसित कराएँगे
हम शिक्षक है महाशय हम ही तो इस देश में क्रांति लाएंगे।
शिक्षा एक अधिकार है जो हर बच्चे को मिलनी चाहिए
इससे कोई भी कभी भी वंचित नहीं रहना चाहिए।
संस्कृति जब मिलती है शिक्षा से तो कमाल होता है
शुन्य और दशमलव से भी बड़ा विकास होता है
भिड़ पड़ेंगे हम सब सारी दुनिया से किसि दंगल पर
पहली बारी में हम ही तो पचुचे थे मंगल पर।
आयुर्वेद और आर्यभट्ट हमारी एक पहचान है
छाप जो छोड़ा है उनने वो आखिर एक मुकाम है।
आजकल तो शालाओ में ताले लगे है, और हम सब बेबस हो चुके है।
डर सा लगता है की कहीं किसी को बीमारी न छू जाये
घर में ही रहे सुरक्षित और परिवार के साथ दिन बिताये।
है इश्वर से यही दुआ की जल्दी शालाओ को खुलवाए
और इस कोरोना महामारी को दूर भगाये।
की फिर से शाला की घंटी बजे और दौड़ते हुए बच्चे कक्षाओं में आये
अधूरी सी हो गयी है हमारी दुनिया, फिर से उन्हें आबाद कर जाये।
आज शिक्षा सिमट गयी है एक बंद दरवाजे के अंदर
और बाते छुप गयी है एक बंद बक्से के भीतर
जब हर मजदूर अपने अपने घर की और चले है
उस भीषण विपदा में भी हम सब यहाँ भिड़े पड़े है
कोई भी बच्चा वंचित न रह जाये शिक्षा पाने से
भले ही दूर रहना पड़े हमे रात में सोने से
दिन भर कक्षा करवाते हैं रात में अगली कक्षा की तैयारी
फिर भी फ़ोन की घंटी बोलती है की आज है तुम्हारी बारी।
प्रिंसिपल का फ़ोन हो या किसी बच्चे के माता पिता का
तैयार खड़े रहते है हम सामना करने को उनके सवालों का
सब को संतुष्ट करते है हम अकेले ही लड़ लड़ कर
अपने घर वालों को भी खुश करना है हमे तो मर मर कर।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा है पास हमारे
तो क्यों न लड़ पड़े हम आज मिलकर सारे
शिक्षा एक धरोहर है जो हमे किसी और से मिलती है
यह एकलौती दौलत है यारो जो बाटने से कभी नहीं घटती है।
दिन भर की थकान के बाद भी हम
शिखक लुटा देते है अपनी निंदिया
क्यूंकि मानते है हम सब दिल से एक ही बात
की पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया।