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जनतंत्र चमचागिरी वोट त्रस्त वक्त समतल व्यापार खुसबू बच्चे निर्दयी जनता अच्छी कविता चन्दन ज्ञानी इंसानियत निगल भ्रष्ट व्यवस्था ईमानदार कोई नहीं धन कहानी

Hindi भ्रष्ट Poems