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Dr Baman Chandra Dixit

Abstract Others

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Dr Baman Chandra Dixit

Abstract Others

जाओगे भी कहाँ

जाओगे भी कहाँ

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आज सोचने का वक्त है पास कहाँ

हर शख्स हर वक्त बे-वक्त है यहाँ।।


चौराहों से बच कर निकलो तो यारा

चौराहों पे ही पहरा शाक्त है यहाँ।।


खूंखार जानवरों से डर लाजमी है 

इंसानों से ही इंसानियत त्रस्त है यहाँ।।


हुकुम जिनका यहाँ चलता आज कल

कैसे बोल सकते कि वो भ्रष्ट है यहाँ।।


बातों को बेचने से बातें बन जाते देख

बातों की व्यापार में वो व्यस्त हैं यहाँ।।


बातें यहाँ वहाँ की बहुत हो चुकी बामन

इस जाहाँ को छोड़ जाओगे भी कहाँ।।



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