भ्रटाचार और सरकार
भ्रटाचार और सरकार
कोई तन से भ्रष्ट कोई धन से भ्रष्ट ।
भ्रष्टता सूचक है अभिमान का
कुशासन निर्लज्ज कुतन्त्र का
कोई मन से भ्रष्ट , कोई धन से भ्रष्ट ।।
भ्रष्टता पूरक है सत्ता और ताकत का
भक्षक हैं जो ये जनता का।।
कोई चरित्र से भ्रष्ट, कोई आतंकी बन भ्रष्ट ।।
बनकर तक्षक डसते है जनता को,
मनुष्य के बीच में खोह इनका।
पैसे से अति मोह जिनको।।
स्वार्थ, हत्या, भय सस्त्र इनका।।
कोई तन से भ्रष्ट , कोई धन से भ्रष्ट ।।
