संघर्ष की जीत
संघर्ष की जीत
बज उठा सिंहनाद, करने को बिजय
अरि की सुन ललकार, मारने को आतुर।
निकल पड़ेे बीर छोड़ कर संसय।
मौत मेरी सहचरी इससे है प्रेम विनय।
नामो निशा मिट जायेगा,
दुश्मन के होशले करके परस्त।
देखेगा जो टेढ़ी निग़ाह,
उसकी होगी मौत निश्चय।
देश के शान को झुकने न देगा वीर।
चट्टानों से मजबूत है अपने ये इरादे,
कर दिया जो खुदको अब देश के हवाले,
चीरकर रख देंगे दुश्मनो के देह को।
मातृभूमि की जय की लिख जायँगे नई गाथा।
भारत की शान में लगने न देंगे दाग यथा।
संंघर्ष की जीत होती यही हमने सीचा है, लहू से।
लिख कर जीत की परीक्षा, आसमाँ पे लहरा,
देंगे भारत का तिरंगा।