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Omdeep Verma

Action

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Omdeep Verma

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साॅरी माँ

साॅरी माँ

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सॉरी मां ! अबकी बार

फिर नहीं आ सकता मैं 

साफ-सफाई में भी

तेरा हाथ नहीं बंटा सकता मैं।

 

अभी तो देश से दुश्मनों को

साफ कर रहा हूं 

मैं पहले जैसे

निकम्मा नहीं रहा मां।

 

अब मैं दिन-रात काम कर रहा हूं 

मां वो कुर्ता लाकर रखना 

जो तू हर दिवाली मेरे लिए लाती थी 

जब भी आऊंगा वही पहनूंगा।

 

जो तुम बड़े प्यार से

मुझे पहनाती थी 

और हां ! बाबू जी से कहना

मेरे लिए वह बंदूकें वगैरह ना लाएं 

जिनकी मैं हर साल जिद करता था।


अब तो दिन-रात असली

गोलियों-बंदूकों में गुजरते हैं 

नकली बंदूकों की हट तो

एक आध दिन ही करता था।

 

गोले-बारूदों के ढेर पर रहते हैं

अपने आप से दुश्मनी पाली होती है 

कभी रोया करता था मैं

दिवाली चले जाने के बाद।

 

अब तो यहां हर पल

दिवाली होती है 

वैसे मिठाई तो मां दुश्मन भी

दे जाते हैं दिवाली की।

 

पर वह प्यार नहीं दे पाते

जो तुम लोगों से मिलता है 

मां मन तो मेरा भी

बहुत करता है आने को।

 

पर फर्ज मेरा भी तो

वतन के लिए कुछ बनता है 

तुम उदास मत होना

मां मैं बहुत जल्द आऊंगा।

 

दिवाली नहीं तो होली तो

आप सब के संग मनाऊंगा।


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