पाखंड
पाखंड
पाखंड बसा है खंड खंड में
जीते हैं पर ये बिना दंड में।
बहरूपिये की शक्ल में ये घूमते
पर भोली सी बनाते हैं ये सूरतें
पहले तो दूर से लड़कियां हैं घूरते
दिखाते फिर खुद को सच्चाई के मूरते
फिरते हैं कभी- कभी अपने झुंड में
पाखंड बसा है खंड खंड में।
आश्रम या चौका खोल के ये बैठे होते
लोगों को ये बेवकूफ बनाते रहते
जादू- टोने से अपने वश में कर के रखते
कोई आवाज़ उठाए तो उससे पागल बताते
काला जादू करते लोगों के मुंड में
पाखंड बसा है खंड खंड में।
ऊँचे पदों में बैठे ये मंत्री होते
राजनीति के जाल में फँसे होते
हर धर्म पे ये राजनीति करते
हर प्रोजेक्ट पे ये धांधली करते
घोटाला होता इनके हर एक फंड में
पाखंड बसा है खंड खंड में।
पाखंड बसा है खंड खंड में
जीते हैं पर ये बिना दंड में।
