ज्यों कच्चा चिठ्ठा खुलते देखा त्यों नौ दो ग्यारह होते देखा। ज्यों कच्चा चिठ्ठा खुलते देखा त्यों नौ दो ग्यारह होते देखा।
ककहरा को ककहरा ही रहने दें, उसके दुष्प्रयोग से नई व्याकरण न लिखें। ककहरा को ककहरा ही रहने दें, उसके दुष्प्रयोग से नई व्याकरण न लिखें।
खुद को बताओ सचिन, और छक्का मारो। खुद को बताओ सचिन, और छक्का मारो।
आती है शर्म खुद से,दो रुपये उधार लेने पर लोग डकार नही लेते ,नाम आने पर घोटालों में! आती है शर्म खुद से,दो रुपये उधार लेने पर लोग डकार नही लेते ,नाम आने पर घोटालो...
गणेश जी के माध्यम से आज के हालात का वर्णन गणेश जी के माध्यम से आज के हालात का वर्णन
इस नेता को एक मर्ज है, स्वार्थ इसमें ठूंस-ठूंसकर भरा है, जब ये सबको धोखा दे सकता है... तो ... इस नेता को एक मर्ज है, स्वार्थ इसमें ठूंस-ठूंसकर भरा है, जब ये सबको धोखा ...